मेरे पैदा होने पर जिन्होंने मुझे रहमत माना,
मेरी हर तकलीफ़ को जिन्होंने अपना जाना।
जीवन के हर मोड़ पर मेरा हाथ है थामा,
वो हाथ जो हमेशा मेरे सर पर रहा,
जिनके साये में मैंने खुद को महफूज़ पहचाना।
मेरे सुख-दुःख जिन्हें अपने से लगे,
जो अपनी ख्वाहिशें भूल कर हमेशा मुझे सवारने में लगे रहे,
मेरी ख़ुशी में अपने गम ही भुला दिए,
चोट लगने पर बहलाया-फुसलाया और गलत राह लेने पर डांटा भी,
मेरे लिए जिन्होंने न जाने कितने बलिदान दिए...
सपने तो मेरे हैं पर उन्हें पूरा करने में मेहनत उनकी है।
वे कोई और नहीं, वे हैं मेरे माता-पिता।
उनको बयान करने के लिए, लफ्ज़ जितने ही हों काम हैं।
ज़िन्दगी की भीड़ में जिनको हमेशा अपने पास है पाया,
मम्मी-डैडी मेरे जीवन की आप ही हो परिभाषा, आप ही हो अभिलाषा।
बस यही है दुआ सदा बना रहे आपका साया।
क्योंकि... आप दोनों ही हैं मेरा सरमाया।।
मेरी हर तकलीफ़ को जिन्होंने अपना जाना।
जीवन के हर मोड़ पर मेरा हाथ है थामा,
वो हाथ जो हमेशा मेरे सर पर रहा,
जिनके साये में मैंने खुद को महफूज़ पहचाना।
मेरे सुख-दुःख जिन्हें अपने से लगे,
जो अपनी ख्वाहिशें भूल कर हमेशा मुझे सवारने में लगे रहे,
मेरी ख़ुशी में अपने गम ही भुला दिए,
चोट लगने पर बहलाया-फुसलाया और गलत राह लेने पर डांटा भी,
मेरे लिए जिन्होंने न जाने कितने बलिदान दिए...
सपने तो मेरे हैं पर उन्हें पूरा करने में मेहनत उनकी है।
वे कोई और नहीं, वे हैं मेरे माता-पिता।
उनको बयान करने के लिए, लफ्ज़ जितने ही हों काम हैं।
ज़िन्दगी की भीड़ में जिनको हमेशा अपने पास है पाया,
मम्मी-डैडी मेरे जीवन की आप ही हो परिभाषा, आप ही हो अभिलाषा।
बस यही है दुआ सदा बना रहे आपका साया।
क्योंकि... आप दोनों ही हैं मेरा सरमाया।।
Comments
Post a Comment