हाँ बेटी हूँ मैं !
आपके घर की रहमत हूँ...
आपका गर्व हूँ मैं।
तो क्या हुआ अगर मुझे जाना है कल किसी दुसरे घर...
मेरे जाने से जिन्हें भूल न पाओगे आप, वो यादें हूँ मै...हाँ बेटी हूँ मैं !
जो बेटा न कर पाए, वह करने की क़ुव्वत रखती हूँ...
बेटों से क़दम से क़दम मिलाना जानती हूँ मैं।
आपको क्यों लगता है, मुझे जीने का अधिकार नहीं?
आप मुझे इस दुनिया में लाए...इसमें आपका सम्मान नहीं?
क्यों मुझे पढाने में कतराते हैं आप?
क्यों मुझे अपनी ही बेटी कहने में शरमाते हैं आप?
क्यों मुझे आप के प्यार का अधिकार नहीं?
क्या मैं सबके सम्मान की हक़दार नहीं?
क्यों बेटों से ही सारी उम्मीदें हैं आपको?
क्यों मुझे सपने देखने से रोकते हैं आप?
क्यों मेरी अनकही बातों का जवाब नहीं देते हो आप?
क्या मेरी मायूस आँखों में कुछ नहीं पढ़ पाते हो आप?
अगर मुझे नीचा दिखाने में ही शान है आपकी...
तो वो भी ख़ुशी-ख़ुशी मंज़ूर है मुझे...
पर याद रखना...मंज़ूर है , क्योंकि बेटी हूँ मैं..!!
आपके घर की रहमत हूँ...
आपका गर्व हूँ मैं।
तो क्या हुआ अगर मुझे जाना है कल किसी दुसरे घर...
मेरे जाने से जिन्हें भूल न पाओगे आप, वो यादें हूँ मै...हाँ बेटी हूँ मैं !
जो बेटा न कर पाए, वह करने की क़ुव्वत रखती हूँ...
बेटों से क़दम से क़दम मिलाना जानती हूँ मैं।
आपको क्यों लगता है, मुझे जीने का अधिकार नहीं?
आप मुझे इस दुनिया में लाए...इसमें आपका सम्मान नहीं?
क्यों मुझे पढाने में कतराते हैं आप?
क्यों मुझे अपनी ही बेटी कहने में शरमाते हैं आप?
क्यों मुझे आप के प्यार का अधिकार नहीं?
क्या मैं सबके सम्मान की हक़दार नहीं?
क्यों बेटों से ही सारी उम्मीदें हैं आपको?
क्यों मुझे सपने देखने से रोकते हैं आप?
क्यों मेरी अनकही बातों का जवाब नहीं देते हो आप?
क्या मेरी मायूस आँखों में कुछ नहीं पढ़ पाते हो आप?
अगर मुझे नीचा दिखाने में ही शान है आपकी...
तो वो भी ख़ुशी-ख़ुशी मंज़ूर है मुझे...
पर याद रखना...मंज़ूर है , क्योंकि बेटी हूँ मैं..!!
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